[ Marathi shayari On Holi ]
| Marathi shayari On Holi | |
-----------------------------------------------------------
आज होळीला कशाला हिंडशी बेकार पांडू?
जो तुला भेटेल नेता,त्यास जोडे मार पांडू
आजची न्यारीच होळी ! पाज तू साहित्यिकांना
तेवढा नाहीस का तू काय 'दर्जेदार' पांडू?
ही महागाई अशी अन् ही कशी होळी कळेना,
बोंबले हा देश सारा,बोंब तूही मार पांडू...
सुरेश_भट
-----------------------------------------------------------
अंग अंग चिंब रंग खेळलो असा गडे
की स्मरेल हीच रंगपंचमी क्षणोक्षणी
©अमित वाघ
-----------------------------------------------------------
आयुष्याची होळी करतो
नंतर गरीब दिवाळी करतो
©अरविंद उन्हाळे
-----------------------------------------------------------
पेटली ह्रदयात होळी आजही
घेरुनी आली उदासी आजही
©अनंत ढवळे
-----------------------------------------------------------
गरीबाच्या लग्नाला नवरी गोरी काय, काळी काय,
महागाईने पिचलेल्याला होळी काय, दिवाळी काय
©ए.के.शेख.
-----------------------------------------------------------
तुझी बनून राहता तुझाच रंग लागला,
अजून आणखी कशास रंग पाहिजे मला
©अन्वी आठलेकर
-----------------------------------------------------------
पोटासाठी आयुष्याची झोळी होते
कधीकधी तर अब्रूचीही होळी होते
©आनंद पेंढारकर
-----------------------------------------------------------
येऊ नये कधीही शिमगा तुझ्या घरावर
मी त्या मुळेच केली होळी जुन्या स्मृतीची.
©आत्माराम जाधव
-----------------------------------------------------------
ती भेटलीच नाही ,होळी तशीच गेली
मज हळद काल ओली, लाऊन मात्र गेली
©अरविंद पोहरकर
-----------------------------------------------------------
ती पेटवून होळी जाळून या मनाला
मी आर्तता मनाची रंगात बुडवलेली
©अलका देशमुख
-----------------------------------------------------------
भरवसा कोठे तसाही कोणत्या विस्तवाचा
तशी होळी की दिवाळी सांगता येत नाही.
©बाळ पाटील
-----------------------------------------------------------
निळसर डोळे,लाल ओठ अन गाल गुलाबी
तिला वेगळी रंगपंचमी हवी कशाला
© गोविंद नाईक
-----------------------------------------------------------
रंगात एका रंगुनी जाऊ चला
ही जात धर्मांची इथे धुळवड नको
©हेमलता पाटील
-----------------------------------------------------------
रोज उत्सव नसे,रोज शिमगा नसे
तू अशी रोज रंगात येऊ नये
©कलीम खान
-----------------------------------------------------------
पोटासाठी त्या सगळ्यांची होळी केली .
भेद अजुनही वर्णाचा मिटलेला नाही
रंगपंचमी,धुळवड केली होळी केली
©विशाल राजगुरू
-----------------------------------------------------------
पहा ऐकले मी जनाचे परंतू, मनाच्याच रंगात मी रंगले
तरी जाहली वाटते का मनाची नव्याने पुन्हा आज धुळवड किती
©Prajakta Gokhale -
-----------------------------------------------------------
आठवांचा दिवसभर शिमगा असे
रोज दु:खांची असे कोजागिरी
©रणजीत पराडकर
-----------------------------------------------------------
पेटली होळी सुखाची
आत अंधारून आले.
©रत्नमाला शिंदे.
-----------------------------------------------------------
येते तशीच जाते होळी असो दिवाळी
आता इथे सणांची उरली कुठे नवाई ?
©रुपेश देशमुख
-----------------------------------------------------------
घराची जाहली आहेच होळी मागच्या साली
तरीही रंग होळीचे पुन्हा खेळायचे आहे
©राधिका
-----------------------------------------------------------
रंगपंचमी जवळी येता जखमेवरची खपली निघते
जुन्या नकोशा आठवणींची ह्रदयामध्ये होळी जळते
©सुनंदा पाटील
-----------------------------------------------------------
नको झालाय शिमगा नेहमीचा
तुझ्या सोबत सणाची हौस फिटली
©स्वप्निल शेवडे
-----------------------------------------------------------
दुःख चिंता प्रेम मत्सर यासवे लढतोस तू
रंगुनी रंगात साऱ्या कोरडा उरतोस तू
© सुप्रिया मिलिंद जाधव
-----------------------------------------------------------
कुणाची आर्त किंकाळी? कसा आवाज हा आला?
कशी ही पेटली होळी? नभाला झोंबती ज्वाला.
© श्रीकृष्ण नारायण राऊत
-----------------------------------------------------------
जे धर्माचा शिमगा करती,
त्या बैलांचा पोळा झाला
©डॉ. संतोष कुलकर्णी
-----------------------------------------------------------
कोणत्या रंगास नाकारू अता मी ?
जीवना भलती तुझी रंगीत होळी
©संजय गोरडे
-----------------------------------------------------------
बोंब असते नेहमीची, 'श्रावणा'च्या दुष्मनांची
खेळती घाणीत होळी, मग धुलीवंदन कशाला
@ 'श्रावण'( शंकर पाटील )
-----------------------------------------------------------
कैफाचा जल्लोष म्हणू की उत्सव होता प्रेमाचा
रंगपंचमी तारुण्याची, तुला न चुकली मला न चुकली
@उज्वला मुडप्पू
-----------------------------------------------------------
होळीत रंगला ना माझ्यासवे कधी तू
करशील जी दिवाळी अपुल्याच अंगणी कर
©विजय उतेकर.
-----------------------------------------------------------
झाडांमुळेच टिकून इथला निसर्ग आहे
झाडे तोडुन आपण दसरा होळी केली
©विनायक पाटील
-----------------------------------------------------------
परस्परांच्या नावाने कायमचा शिमगा
ही स्पर्धेची खाज कशी जिरवावी सांगा ?
© विश्वास कुलकर्णी
-----------------------------------------------------------
रंग माझा वेगळा झाला गुलाबी
मी तुझ्या रंगात न्हाली छान झाले
©वैश
-----------------------------------------------------------
0 टिप्पण्या