Women's day special marathi shayari | महिला दिन मराठी शायरी



[ Women's day special  marathi shayari ]




Marathi shayari
| Women's day special marathi shayari |



-----------------------------------------------------------

 विनिता पाटील कुलकर्णी

.

दुःख आपोआप आले वाटणीला

सूख शोधत राहिले मी वळचणीला
-----------------------------------------------------------


वृषाली(राणी)मारतोड़े
.
लख लाभ हे असुदे सारे तुला बगीचे
घनगर्द रान हिरवे माझ्याच मालकीचे
-----------------------------------------------------------


यामिनी विलास दळवी


अशा ओसाड रस्त्यावर कुणी हरवायच्या आधी

पुन्हा परतून येऊ का घरी परतायच्या आधी 
-----------------------------------------------------------



अलका देशमुख


तोडले घर तू विधात्या पेलला पण भार आहे
बाप जो आधार होता माय बनली दार आहे


-----------------------------------------------------------



अलका कुलकर्णी


सखा पैलतीरी किती दूर आहे 
इथे आठवांचा महापूर आहे 


-----------------------------------------------------------



अल्पना देशमुख नायक


ओळखता येईल स्वतःला असा आरसा जपते मी
या दुनियेच्या गर्दीमध्ये ठसा आपला जपते मी


-----------------------------------------------------------



अमिता गोसावी



कुणाला आस जगण्याची कुणाला ध्यास मरणाचा
कुणाचा पुर्ण झाला का कधी अभ्यास जन्माचा
-----------------------------------------------------------



अमृता साळुंके जोशी


मानलेले एक नाते पोकळी व्यापून जाते

जन्म ओवाळून द्यावा एवढे देऊन जाते
-----------------------------------------------------------

अनघा कुलकर्णी


तुला एवढा जीव लावला चुकले माझे

उगीच माझा जीव जाळला चुकले माझे
-----------------------------------------------------------

अनिता बोडके



होते कळी अभागी फुलता मला न आले

वाऱ्यापरी नभाला भिडता मला न आले
-----------------------------------------------------------

अनिता इंगळे


डोक्यास ताप आहे

भरपूर व्याप आहे
-----------------------------------------------------------

अनुराधा साळवेकर


सारखे हे असे कसे होते 

चार लोकांमध्ये हसे होते 
-----------------------------------------------------------

अन्वी अनिल आठलेकर


छान आहे देखणी आहे

एक चिंता वेगळी आहे
-----------------------------------------------------------

अर्चना माने


दु:ख मोठे हे विकाया काढले मी 

वेदनेचे घाव सारे मांडले मी 
-----------------------------------------------------------


आरती पद्मावार
.

आयुष्याला दऱ्या कपारी कडे पाहिले

अवघड सोपे जीवन कोडे धडे पाहिले
-----------------------------------------------------------


अरु तनया
.

जगाला सावली देऊन थकले मी

अता गळणार आहे पान पिकले मी
-----------------------------------------------------------

आशा पांडे
.

बागेमधे फुलांच्या येऊ तरी कशाला 

देहातल्या फुलांचा काटा कधीच झाला 
-----------------------------------------------------------

अश्विनी आपटे
.

पडू नको तू फार माणसा मोहात मनाच्या

भले भले रे गेले वाहुन डोहात मनाच्या
-----------------------------------------------------------


अश्विनी विटेकर
.

माझी दया तुला का देवा कधी न आली

जगण्यातली मजा मज घेता कधी न आली
-----------------------------------------------------------


बागेश्री देशमुख
.

मला दु:ख दे, दु:ख दे, दु:ख देवा

सुखाने जळावे असे दु:ख देवा
-----------------------------------------------------------


भाग्यश्री कुलकर्णी
.

प्रेमाने मन तुडूंब भरले सरोवरी त्या विहर सख्या

गूज मनीचे सांगुन कानी उठव तयावर लहर सख्या
-----------------------------------------------------------


भारती बिर्जे डिग्गीकर
.

प्रखरतेचे पांघरत झाकोळ जाताना 

गुणगुणावी गहनतेची ओळ जाताना 
-----------------------------------------------------------


चंदना सोमाणी
.

मी पाहिले नभाचे तारे हजारवेळा 

पण मोजता न आले सारे हजारवेळा
-----------------------------------------------------------


चारुशीला धुमाळ
.

आतल्या आत ती जळत होती

मेणबत्ती किती झुरत होती
-----------------------------------------------------------


चित्र जैन कहाते
.

शेजार आठवांचा अजुनी तसाच आहे

गंधाळल्या स्मृतींचा तो पारिजात आहे
-----------------------------------------------------------


छाया गोवारी
.

नित्य पुण्याची जगी या गस्त आहे

पाप पापातच तरी का मस्त आहे ?
-----------------------------------------------------------


सौ.दिपाली कुलकर्णी
.

नकार आला एकाचा मग दुसरा पाहू

लेक लाडकी सुखी रहावी नवरा पाहू
-----------------------------------------------------------


दीपमाला कुबडे
.

राज्यात रावणाच्या जगतो खुशाल आम्ही

निस्तब्ध आसवांची भरतो पखाल आम्ही
-----------------------------------------------------------

दीप्ती सुर्वे जाधव
.

पसरली आज वाऱ्यावर किती चर्चा

तुझ्या माझ्या करारावर किती चर्चा
-----------------------------------------------------------

धनश्री किशोर पाटील
.

हळवा मनाचा कोपरा तू बंद केल्यावर

तुजला बघावे खोल मी तू दूर गेल्यावर
-----------------------------------------------------------

फातिमा मुजावर
.

ते तुझे सांगणे खरे नव्हते

कालचे दिवसही बरे नव्हते
-----------------------------------------------------------


सौ . गाथा महेंद्र आयगोळे.
.

माझिया गात्रामधूनी धावणारा श्वास तू

की मला बेचैन करणारा मनाचा भास तू ?
-----------------------------------------------------------

गौरी शिरसाट
.

स्वप्नात काल रात्री येऊन कोण गेले

गंधाळल्या क्षणांना छेडून कोण गेले
-----------------------------------------------------------


गायत्री पिसेकर
.

घडलेच असे काही की, प्रश्नात अडकले नाही

उत्तरे मिळवण्यासाठी नजरेत उतरले नाही
-----------------------------------------------------------

हेमा जाधव
.

भावनांचा कोंडमारा जाळला आहे

साहण्याचा काळ आता संपला आहे
-----------------------------------------------------------


जयश्री काळवीट
.

अत्तराचा गंध इतका खास होता 

की फुलांचा कोंडलेला श्वास होता 
-----------------------------------------------------------

जयश्री कुलकर्णी
.

मी उद्या नसले तरी अस्तित्व हे उरणार नक्की

शब्द हे माझे उद्या ,माझ्या खुणा जपणार नक्की
-----------------------------------------------------------

जयश्री कुलकर्णी अंबासकर
.

सुखासीन आयुष्य अळणी कदाचित

चवीला व्यथाही जरूरी कदाचित
-----------------------------------------------------------

जयश्री वाघ
.

तुझे वाळूतले घरटे कुणी मोडून गेले का

जिवाला जीव देणारे कुणी सोडून गेले का
-----------------------------------------------------------

ज्योति मार्जनी
.

स्वप्नांच्या वाटेवर जगणे जमले नाही 

सत्याला सामोरे जाणे जमले नाही 
-----------------------------------------------------------

ज्योति शिंदे
.

जीवनाची काय सांगू मी कहाणी;

सोबतीला आठवांची, ही विराणी
-----------------------------------------------------------

ज्योति रत्नाकर बालिगा
.

उत्तरासाठीच होता प्रश्न तो मी मांडला

जो शिताफीने असा तू ऐनवेळी टाळला
-----------------------------------------------------------

ज्योत्स्ना चांदगुडे
.

ना तिला घर दार वा ना कोणताही सातबारा

काढला आहे कुणी का माळरानाचा उतारा ?
-----------------------------------------------------------

ज्योत्स्ना राजपूत
.

पाहू नको असा तू ,मागे वळून आता

ती वेळ भेटण्याची ,गेली टळून आता
-----------------------------------------------------------

कांचन कानतोडे
.

कुणीही भावले नाही मला येथे तुझ्यानंतर

जसा की भेटला विठ्ठल मला तू भेटल्यानंतर
-----------------------------------------------------------


काश्मीरा पाटील
.

उद्यापर्यंत जगेल याचा काय भरोसा

विचार हाही तरेल याचा काय भरोसा
-----------------------------------------------------------

कविता डवरे
.

भासती तुम्हाला शब्द बेभाव माझे 

चंद्र तारकांना त्या पुसा नाव माझे 
-----------------------------------------------------------


कविता क्षीरसागर
.

दुःखा किती अनावर होतोस भेटताना

दमछाक होत आहे कवितेत मांडताना
-----------------------------------------------------------

किरण पिंपळशेंडे
.

शिंपला कोणी सडा हा चांदण्यांचा अंबरी

ओंजळीभर वेचुनी घ्यावा बघा कोणीतरी
-----------------------------------------------------------


किर्ती वैराळकर इंगोले
.

फार मृत्यूचा दरारा वाढतो

जीवना वरचा पहारा वाढतो
-----------------------------------------------------------

क्रांति साडेकर
.

प्रत्येक खुळ्या वाटेने मन आता धावत नाही

कविताही भावत नाही, की गझल खुणावत नाही
-----------------------------------------------------------


क्रांती पाटील
.

कशा काट द्यावी उगा आसवांना 

सुखाने सहावे असे वेदनांना 
-----------------------------------------------------------

क्षितिजा आरती
.

वाहत्या वेदनेला किनारा हवा 

जीवनाला तुझाही सहारा हवा 
-----------------------------------------------------------


ललिता बांठिया
.

विसरून मला गेल्याचे नुसतेच बहाणे होते

धुंदीत तुझ्या जगण्याचे ते वेड पुराणे होते
-----------------------------------------------------------

लतिका चौधरी
.

मृत्यूला या कवटाळून गेली भेट तुझी माझी

जगण्याला या भाळून गेली भेट तुझी माझी
-----------------------------------------------------------


मधुराणी बनसोड
.

भेटला तो मला शेवटी शेवटी

वाटला तो भला शेवटी शेवटी
-----------------------------------------------------------


माधुरी चव्हाण जोशी
.

भूतकाळ पापण्यात रोखणे बरे नव्हे,

एकटेच रात्र रात्र जागणे बरे नव्हे
-----------------------------------------------------------


ममता सपकाळ
.

अजुन झाले कुठे आहे पुरे सोसून माझेही

असू दे सावलीमध्ये जरासे ऊन माझेही
-----------------------------------------------------------

मानसी चापेकर
.

असे नजरेत नजरेला तुझ्या मी केवढी जपते

तुला मी रोज बघते अन तुझ्यावर प्रेमही करते
-----------------------------------------------------------


माणिक घारपुरे
.

सुखाच्या क्षणांचा पुढे माग आहे 

तुझ्या मागुती चालणे भाग आहे
-----------------------------------------------------------


मनीषा मोडक
.

अंध मी प्रेमात असता दोष मग शोधू कशी ?

स्वप्न भासे सत्य जर सत्यात मी राहू कशी ?
-----------------------------------------------------------

मनीषा अतुल
.

इथे अनंत घाव मी जपून ठेवले

प्रचंड आज दाह मी जपून ठेवले
-----------------------------------------------------------

मनीषा नाईक
.

केवढी चर्चा उगाचच गाजला होता चहा

फार नाही फक्त सोबत घेतला होता चहा
-----------------------------------------------------------



[ महिला दिन मराठी शायरी ]


-----------------------------------------------------------

मेघा देशपांडे
.

सोड रुसवा बोल आता वावगे वागू नको

भांडणे होतील तरिही बोलणे सोडू नको
-----------------------------------------------------------

मेघना राजे मेघा
.

स्पर्धेत या जगाच्या त्यांचा टिकाव नाही

आकाश पेलण्याचा ज्यांना सराव नाही
-----------------------------------------------------------

मीना सानप
.

नको एकांत हा देवा जगावे मी कशाला रे 

असा संसार अर्ध्यावर, राहावे मी कशाला रे
-----------------------------------------------------------

मीना सोसे
.

चांगली ही माणसे नात्यात माझ्या

ठेव आहे एवढी खात्यात माझ्या
-----------------------------------------------------------

मीनाक्षी किलावत
.

जो थांबला तो नुसताच भार आहे 

संवेदना निकाली शब्दास धार आहे 
-----------------------------------------------------------

मीनल बाठे 'क्षितिजा'
.

मागण्यावाचून देणे द्यायचे तू 

अन् स्वरावाचून गाणे गायचे तू 
-----------------------------------------------------------


मोहिनी शिंदे
.

कुठे दुरावा सजाच आहे ?

अजूनही तो तसाच आहे
-----------------------------------------------------------


नयना जनार्दन म्हात्रे
.

फक्त नावाचा तुझ्या केला पुकारा

आठवांचा भोवती झाला पसारा
-----------------------------------------------------------

निर्मला सोनी
.

रोज वेडयापरी, जागते रात्र ही

एकटी एकटी, हासते रात्र ही
-----------------------------------------------------------


निर्मिती कोलते
.

तुझा पत्ता विसरण्याची

गरज आहे हरवण्याची
-----------------------------------------------------------


नीता आंबेगावकर
.

ही वाट कशी स्वप्नांची आशेने तुडवीत गेले

अन् रंग तुझ्या प्रीतीचे अंगावर उडवीत गेले.
-----------------------------------------------------------

नीना गायकवाड
.

सोडून कां असे गेला शल्य मज सतावे 

कर्जात आज श्वासांच्या सांग कां रहावे 
-----------------------------------------------------------

निशा चौसाळकर
.

आजच्या घडीला तर, आपले कुणी नाही

चांदणे हरवल्यावर, थांबले कुणी नाही
-----------------------------------------------------------

निशा डांगे
.

जीवनाचा मांडलेला डाव आहे

काळजावर साहलेला घाव आहे
-----------------------------------------------------------

परीता बांदेकर
.

कापरागत देह जळतो हे किती बघ खास आहे

साधनेला अंत नसतो हे किती बघ खास आहे
-----------------------------------------------------------

पूजा भडांगे लगदिवे
.

तुझ्यासोबत मला वाटे, जणू स्वर्गात आहे मी

किती सौभाग्य हे माझे, तुझ्या प्रेमात आहे मी
-----------------------------------------------------------


पूजा फाटे
.

कपाळ माझे कोरडवाहू

कुंकू त्यावर कशास लावू?
-----------------------------------------------------------

पूर्णिमा पवार


तोडता तू बंध सारे मी उरावे एकटीने
नाव ह्या नात्यास आता काय द्यावे एकटीने


-----------------------------------------------------------

प्रभा प्रभुदेसाई
.

वादळाच्या काय बाता ? मी झुळुक, चाहूल होते

वृक्ष तुमचे गगनस्पर्शी मी तृणाचे फूल होते 
-----------------------------------------------------------

प्रभा सोनवणे
.

मद्यालयात आता गर्दी चिकार झाली

पेल्यात वादळाची नांदी तयार झाली
-----------------------------------------------------------

प्रज्ञा कुलकर्णी
.

भावनेला ओढ मोठी तारकांचा भास आहे 

कुट्ट काळ्या जीवनाला चंद्रमाची आस आहे 
-----------------------------------------------------------

प्राजक्ता गोखले पटवर्धन
.

विरहातही कसा हा मधुमास होत आहे

माझ्या तुझ्या क्षणांचा आभास होत आहे
-----------------------------------------------------------

प्राजक्ता वेदपाठक
.

जो घातला मुळाशी भरणार घाव नाही

रे जीवना तुझा हा फळणार डाव नाही
-----------------------------------------------------------


प्रतिभा गुजराथी
.

तोच रस्ता तीच वळणे भेट पुन्हा घडत नाही

ओळखीच्या पायवाटा तेथवर का वळत नाही
-----------------------------------------------------------


प्रतिभा जगदळे
.

काय केले नवे ...टोचणी लागते

सोसण्या जखम ती ...डागणी लागते
-----------------------------------------------------------


प्रतिभा सराफ
.

काहीतरी मिळाले गमवून खूप काही

त्याचीच याद उरली विसरून खूप काही
-----------------------------------------------------------


प्रिती जामगडे
.

जाताना नेहमी स्वत:चं नाव करून गेला

तुझा शब्द काळजावर घाव करून गेला
-----------------------------------------------------------

राधा भावे
.

जिथे दु:ख,चिंता तिथे धावते मी;

तमाच्या किनारी दिवे लावते मी
-----------------------------------------------------------


राधिका प्रेम संस्कार
.

मुक्त मी आहे खरोखर मुक्ततेलाही विचारा

भोगला संसार आधी फेकला नंतर पसारा
-----------------------------------------------------------


रजनी अरणकल्ले
.

सांज होता सूर्य हासला जाता जाता

डाव त्याने साधलाच हा जाता जाता
-----------------------------------------------------------


रजनी निकाळजे
.

साधे जरा करारी पिळतात काळजाला

फाडून शब्द छाती शिवतात काळजाला..
-----------------------------------------------------------


रंजना ससणे
.

देव नाही मंदिरी या जाणते जग 

साकडे त्याला तरी कां चालते जग 
-----------------------------------------------------------


रश्मि मर्डी
.

किती मी दाखले देऊ असे निर्जीव वचनांचे

सवे राहूनही आपण कधी नसणार दोघांचे...
-----------------------------------------------------------


रश्मि पदवाड मदनकर
.

मनाला मनाचा कुठे थांग आहे

जिवाला दिलासा कसा सांग आहे
-----------------------------------------------------------


रसिका कुलकर्णी
.

दिल्या वेदनेशी दुजाभाव नाही

सुखाच्या क्षणांची मला हाव नाही..
-----------------------------------------------------------


रत्नमाला शिंदे
.

दगडातही तसे गुण असतात खास काही

नुसत्याच शेंदुराने देवत्त्व येत नाही
-----------------------------------------------------------


डॉ.रेखा देशमुख
.

मैफलीत गाताना गीत हे अमर होते 

येतसे समेवरती वाहवा जबर होते 
-----------------------------------------------------------


रेणुका पांचाळ
.

किती पावसाळा मनी साठलेला 

झुरे, वाट पाहे, झरा आटलेला 
-----------------------------------------------------------


रेवती पेंडसे
.

फक्त बघती ठेच मजला लागल्यावर 

कोरडा उपदेश करती समजल्यावर 
-----------------------------------------------------------


रोहिणी कदम
.

हवे ते मिळाले तुझ्यासोबतीने ,

पुरे स्वप्न झाले तुझ्यासोबतीने 
-----------------------------------------------------------


रोहिणी मिठे झगडे
.

तुझ्यात माझे अजून आहे बरेच काही

ह्रदयात लपले अजून आहे बरेच काही
-----------------------------------------------------------


रोहिणी पांडे
.

सृष्टीत पावसाचे थैमान फार झाले 

धो धो करून पडता सारे शिकार झाले 
-----------------------------------------------------------


समृद्धी संजय सुर्वे
.

वेदना का वाहतो बेकार मित्रा

मुखवट्यांचा हा नको आधार मित्रा
-----------------------------------------------------------


सांची कांबळे
.

कटू सत्यास निर्भिड मांडणा-याची,

इथे होतेच फरफट बोलणा-याची 
-----------------------------------------------------------


संगीता भालसिंग
.

शब्द माझे कूळ आहे

काव्य माझे खूळ आहे 
-----------------------------------------------------------


संगीता जोशी
.

पुढे पावले ही स्वत:हून टाकू

चला या जगाला सुधारून टाकू
-----------------------------------------------------------


संगीता माने
.

चाल मी जीवनी खेळली कैकदा

हारली कैकदा जिंकली कैकदा
-----------------------------------------------------------


संगीता म्हसकर
.

रात्र थोडी राहिलेली बोल तू काहीतरी

चालले क्षण हे अधांतर सांग जे तव अंतरी
-----------------------------------------------------------


संघमित्रा खंडारे
.

खोल काही आत तुटल्यासारखे

काळजाचे देठ खुडल्यासारखे
-----------------------------------------------------------


सानिका दशसहस्र
.

ग्राह्य धरण्यासारखे काहीच नव्हते.

आपल्यामध्ये तसे काहीच नव्हते 
-----------------------------------------------------------


सारिका माकोडे भड
.

किती धावलो बाळांसाठी चुकलो आपण
कुठे सांगना अपुल्यासाठी जगलो आपण


-----------------------------------------------------------

सीमा गादे
.

फसवता व्यथांना खरा जन्म गेला

तुझा शोध घेता नरा जन्म गेला 
-----------------------------------------------------------


शैलजा वायझाडे
.

पापण्यांच्या अंबराला आसवांचे चांदणे

हे किती कैफात आता आसवांचे चांदणे.
-----------------------------------------------------------

शरयू शहा
.

गांभीर्याने, जीवन जगले, चुकले माझे

मौज मजेला, नाही वरले, चुकले माझे
-----------------------------------------------------------


शशिकला बनकर
.

मानास मोजणारा आजार पाहिला मी

त्वेषात बोलणारा बेकार पाहिला मी
-----------------------------------------------------------


शिल्पा देशपांडे
.

घायाळ आसवांचा आक्रोश झेलते मी

डोळ्यात वेदनांचे आभाळ तोलते मी
-----------------------------------------------------------


शिल्पा पै परुळेकर
.

आधार शोधताना आधार होत गेले

जो भेटला तसा मी आकार होत गेले
-----------------------------------------------------------


शितल अक्केवार कर्णेवार
.

उलगडे येथे कळी एकेक माझी

जागली का रात्र ती प्रत्येक माझी
-----------------------------------------------------------


शितल डफळ धामोरे
.

भाजावी ही भाकर म्हणुनी अग्नीला गोंजारत गेले

धगधगणा-या ज्वालांवरती हलकी फुंकर मारत गेले
-----------------------------------------------------------


शितल गाजरे
.

सांजवेळी काजव्यांना लाजताना पाहते मी

रातओल्या काजळीला वाढताना पाहते मी 
-----------------------------------------------------------


शिवानी गोखले
.

मनीचा वणवा असा शांत झाला

तूझे नाव घेता आकांत झाला.
-----------------------------------------------------------


शोभा तेलंग
.

कळीला छेडतो चाफा

जवळ ये बोलतो चाफा
-----------------------------------------------------------


श्रद्धा खानविलकर
.

नको देऊस वाऱ्याला खबर म्हणते

निरागस राहुदे इथला बहर म्हणते
-----------------------------------------------------------


शुभदा कुलकर्णी ताकभाते
.

विषारी हुंदके आक्रोश अन् थोडे उसासे

खरेसे वाटले होते मला सारे जरासे 
-----------------------------------------------------------


शुभा प्रशांत लोंढे
.

मीच माझ्या वेदनांचे गीत होते.

साहिलेले दुःख शब्दातीत होते.
-----------------------------------------------------------


श्वेता रानडे चिटणीस
.

ओठांना जर ओठ जरासे कळले असते,

शब्दांना मी वेठीला का धरले असते?
-----------------------------------------------------------


स्मिता गांधी
.

नकोच सांगू असे बहाणे ,वेळोवेळी

स्वप्नांचे ते रिक्त रकाने वेळोवेळी 
-----------------------------------------------------------


स्मिता साळवी
.

आंधळ्याचे नेत्र व्हावे आस आहे

नेत्रदानाचा मनाला ध्यास आहे
-----------------------------------------------------------


स्मित शिवदास
.

पावलांना आज येथे हिरवळीचा भास आहे

वेदनांचा ताणलेला जीवघेणा त्रास आहे 
-----------------------------------------------------------


स्नेहल कुलकर्णी
.

जाग आल्यावर दिशांना पांगले इतरत्र होते

श्वास दोघांचे सुरंगी रात्रभर एकत्र होते
-----------------------------------------------------------


स्नेहा शेवाळकर
.

आसवांना पापणीतच रोखले आहे

दुःख मी मोठ्या खुबीने झाकले आहे
-----------------------------------------------------------


स्नेहल कदम
.

निर्दयी या काळजावर वार झाला 

सोसलेल्या वेदनांचा भार झाला 
-----------------------------------------------------------

सौ.सविता बनसोड

.

मनाचे गुज ओठांनी, कधीच बोलले नाही

नयनी साठवले ते तुला,कधीच कळले नाही
-----------------------------------------------------------


सुधा पालवे (भावसुधा)
.

सांगू तरी कसे मी धीक्कार लाख झाला

मौनातल्या गुन्ह्याचा चित्कार लाख झाला
-----------------------------------------------------------


सुगंधा पाटील
.

लाचार वासनेला का सांग माळले तू

मोहात या निशेच्या प्राचीस टाळले तू
-----------------------------------------------------------


सुहासिनी विवेकरंजन देशमुख
.

घेरावयास मजला; सगळे तयार झाले

मी नजर टाकली अन सारेच गार झाले
-----------------------------------------------------------


सुजाता दरेकर
.

कशाला करावा उगा मी खुलासा

कधी जर कुणाला पटे ना जरासा
-----------------------------------------------------------


सुजाता पगारे गायकवाड
.

कशा कशावर गझला करतो,माझा नवरा

मी,मुलगी,दुनियेस विसरतो,माझा नवरा
-----------------------------------------------------------


सुलभा वसंत कामत
.

या खुणा कालचे गीत आहे

मी नवा सूर शोधीत आहे
-----------------------------------------------------------


सुनंदा भावसार
.

वेड लाटेस का किनार्यारचे

भय न दर्या तुझ्या पहार्याुचे
-----------------------------------------------------------


सुनंदा पाटील गझलनंदा
.

मला सांगायचे होते तुला जे काल ओठांनी

कसा ओठांवरी लिहिला तराणा लाल ओठांनी
-----------------------------------------------------------


सुनंदा शेळके
.

लाख झेलले प्रहार मागे सरले नाही 

पराभूत मी होऊन सुद्धा हरले नाही 
-----------------------------------------------------------


सुनेत्रा नकाते
.

शब्द माझे सारथी अन शब्द माझे धन खरे हे

शब्द माझे सारथी अन शब्द माझे बल खरे हे
-----------------------------------------------------------


सुनिता रामचंद्र
.

दबावापुढे भूकही मूक होते

तश्या आतड्याचीच बंदूक होते
-----------------------------------------------------------


सुनीति लिमये
.

मार्ग आहे मोकळा ..पण घे जरासा वेगळा

कोठुनीही जा सखे ....कर जीवनाचा सोहळा
-----------------------------------------------------------


सुप्रिया मिलिंद जाधव
.

चढत आहेस तू जी पायरी ती पार केली मी

तुझ्या प्रेमात पडले,मान्य माझी हार केली मी
-----------------------------------------------------------


सुरुची नाईक
.

दैवास जाणले मी, दैत्यास काय सांगू?

सृजनात हारले मी, मरणास काय सांगू?
-----------------------------------------------------------


स्वरूपा सामंत
.

मानला तर मी तुझा आधार आहे

मानला तर मीच अंधःकार आहे
-----------------------------------------------------------


स्वाती महेश
.

हे हवे अन ते नको रे बास आता

सांगताही येत नाही त्रास आता
-----------------------------------------------------------


स्वाती शुक्ल
.

जरी काटाच होता तो तरी आलाच अंगावर

कुठे फिर्याद नोंदावी फुलांनी वार केल्यावर
----------------------------------------------------------


उज्वला सुधीर मोरे
.

काळजाला चिटकून येते तुझी आठवण

संध्याकाळी हटकून येते तुझी आठवण
-----------------------------------------------------------


उमा पाटील
.

कैफातल्या क्षणांचा अजुनी प्रभाव कायम

बेभान या मनाची स्वप्नात धाव कायम
-----------------------------------------------------------


उर्मिला बांदिवडेकर
.

खडकावरती अंकुरबिंकुर फुटला नाही

जीव तिचाही माझ्यावरती जडला नाही
-----------------------------------------------------------


उर्मिला सहस्रबुद्धे वाणी
.

का आजही सुगंधी हा श्वास होत आहे ?

गंधाळल्या सुखांचा आभास होत आहे
-----------------------------------------------------------


उर्मिला ठाकरे


ही झोपडी जरीही, माझी उन्हात आहे

आणेल चंद्र येथे, उर्मी मनात आहे...
-----------------------------------------------------------


उर्मिला ठाकरे


प्रेम हा व्यवहार उरला बदलली आख्यायिका

राहिला ना कृष्ण कोठे राहिली ना राधिका 
-----------------------------------------------------------


वैश मिर्झापुरे
.

जगाची काळजी आता मला नाही तुला नाही

मनाची लाजही आता मला नाही तुला नाही
-----------------------------------------------------------


वैशाली माळी
.

घडायच्या त्या घडून गेल्या काही गोष्टी 

मनामध्ये घर करून गेल्या काही गोष्टी
-----------------------------------------------------------


वंदना राऊत
.

कशाला कुणाच्या मनाला छळावे

मनाला तयाच्या मनी गुंतवावे 
-----------------------------------------------------------


वंदना पाटील वैराळकर
.

डोळ्यामधील जेव्हा पाणी सरून गेले

काटे मला नव्याने जखमी करून गेले 
-----------------------------------------------------------


वनिता मोडके पाटील
.

प्रेमास आपल्या रे ते नाव काय होते ?

उमजे मनास आता ते भाव काय होते
-----------------------------------------------------------

वनिता तेंडूलकर बिवलकर
.

अजुनी नव्या उद्याची अाशा जिवंत आहे

आनंद जिंकण्याची इच्छा ज्वलंत आहे
-----------------------------------------------------------


वर्षा चौगुले
.

दरवळणारी जाई मी

गंधांची अमराई मी
-----------------------------------------------------------


वर्षा कुलकर्णी
.

'कधी' 'कोणी' 'कसे' 'केव्हा' 'कशाला' 'का' 'कुणासाठी'

असे हे प्रश्न पडती ह्या मनाला का कुणासाठी ?
-----------------------------------------------------------


वासंती वैद्य
.

पंखातल्या बळाचा झाला प्रभाव नाही

आकाश पेलण्याचा ज्यांना सराव नाही
-----------------------------------------------------------


वीणा बेळगावकर
.

हलाहलातले विखार प्यायचे हळूह्ळू

सरावलो कसातरी जगायचे हळू हळू
-----------------------------------------------------------


विद्या देशमुख, अमरावती
.

संपर्क साधणारी लाईन व्यस्त आहे

देवा कसा इथे हर माणूस त्रस्त आहे
-----------------------------------------------------------


विजयालक्ष्मी वानखडे
.

भलताच लागला ह्या,चंद्रास घोर आता

स्वप्नात रोज येतो,प्यासा चकोर आता.
-----------------------------------------------------------


विजया गायकवाड
.

समजून घे मला तू , लग्नात भेटल्यावर

होणार प्रेम परके , हळदीत बाटल्यावर
-----------------------------------------------------------


विजया टाळकुटे
.

येशूमधे मिळाला बुद्धामधे मिळाला

रामा तुझाच अनुभव अल्लामधे मिळाला
-----------------------------------------------------------


विनया निलेश पिंपळे
.

पाहते इथे तुला, तिथे तुलाच पाहते

सावल्या सभोवती हताश होत साहते
-----------------------------------------------------------


विनिता/मृणाल घाटे
.

दुःख जगाचे काळजात सांभाळू सखये

एकांतातच मुकी आसवे ढाळू सखये
-----------------------------------------------------------


यशश्री रहाळकर


गाळताही येत नाही टाळताही येत नाही
जाच ऐसा जीवना की भाळताही येत नाही


-----------------------------------------------------------

टिप्पणी पोस्ट करा

0 टिप्पण्या