[ Women's day special marathi shayari ]
| Women's day special marathi shayari | |
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विनिता पाटील कुलकर्णी
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दुःख आपोआप आले वाटणीला
सूख शोधत राहिले मी वळचणीला
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वृषाली(राणी)मारतोड़े
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लख लाभ हे असुदे सारे तुला बगीचे
घनगर्द रान हिरवे माझ्याच मालकीचे
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यामिनी विलास दळवी
अशा ओसाड रस्त्यावर कुणी हरवायच्या आधी
पुन्हा परतून येऊ का घरी परतायच्या आधी
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अलका देशमुख
तोडले घर तू विधात्या पेलला पण भार आहे
बाप जो आधार होता माय बनली दार आहे
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अलका कुलकर्णी
सखा पैलतीरी किती दूर आहे
इथे आठवांचा महापूर आहे
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अल्पना देशमुख नायक
ओळखता येईल स्वतःला असा आरसा जपते मी
या दुनियेच्या गर्दीमध्ये ठसा आपला जपते मी
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अमिता गोसावी
कुणाला आस जगण्याची कुणाला ध्यास मरणाचा
कुणाचा पुर्ण झाला का कधी अभ्यास जन्माचा
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अमृता साळुंके जोशी
मानलेले एक नाते पोकळी व्यापून जाते
जन्म ओवाळून द्यावा एवढे देऊन जाते
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अनघा कुलकर्णी
तुला एवढा जीव लावला चुकले माझे
उगीच माझा जीव जाळला चुकले माझे
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अनिता बोडके
होते कळी अभागी फुलता मला न आले
वाऱ्यापरी नभाला भिडता मला न आले
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अनिता इंगळे
डोक्यास ताप आहे
भरपूर व्याप आहे
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अनुराधा साळवेकर
सारखे हे असे कसे होते
चार लोकांमध्ये हसे होते
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अन्वी अनिल आठलेकर
छान आहे देखणी आहे
एक चिंता वेगळी आहे
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अर्चना माने
दु:ख मोठे हे विकाया काढले मी
वेदनेचे घाव सारे मांडले मी
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आरती पद्मावार
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आयुष्याला दऱ्या कपारी कडे पाहिले
अवघड सोपे जीवन कोडे धडे पाहिले
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अरु तनया
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जगाला सावली देऊन थकले मी
अता गळणार आहे पान पिकले मी
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आशा पांडे
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बागेमधे फुलांच्या येऊ तरी कशाला
देहातल्या फुलांचा काटा कधीच झाला
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अश्विनी आपटे
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पडू नको तू फार माणसा मोहात मनाच्या
भले भले रे गेले वाहुन डोहात मनाच्या
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अश्विनी विटेकर
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माझी दया तुला का देवा कधी न आली
जगण्यातली मजा मज घेता कधी न आली
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बागेश्री देशमुख
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मला दु:ख दे, दु:ख दे, दु:ख देवा
सुखाने जळावे असे दु:ख देवा
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भाग्यश्री कुलकर्णी
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प्रेमाने मन तुडूंब भरले सरोवरी त्या विहर सख्या
गूज मनीचे सांगुन कानी उठव तयावर लहर सख्या
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भारती बिर्जे डिग्गीकर
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प्रखरतेचे पांघरत झाकोळ जाताना
गुणगुणावी गहनतेची ओळ जाताना
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चंदना सोमाणी
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मी पाहिले नभाचे तारे हजारवेळा
पण मोजता न आले सारे हजारवेळा
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चारुशीला धुमाळ
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आतल्या आत ती जळत होती
मेणबत्ती किती झुरत होती
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चित्र जैन कहाते
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शेजार आठवांचा अजुनी तसाच आहे
गंधाळल्या स्मृतींचा तो पारिजात आहे
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छाया गोवारी
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नित्य पुण्याची जगी या गस्त आहे
पाप पापातच तरी का मस्त आहे ?
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सौ.दिपाली कुलकर्णी
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नकार आला एकाचा मग दुसरा पाहू
लेक लाडकी सुखी रहावी नवरा पाहू
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दीपमाला कुबडे
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राज्यात रावणाच्या जगतो खुशाल आम्ही
निस्तब्ध आसवांची भरतो पखाल आम्ही
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दीप्ती सुर्वे जाधव
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पसरली आज वाऱ्यावर किती चर्चा
तुझ्या माझ्या करारावर किती चर्चा
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धनश्री किशोर पाटील
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हळवा मनाचा कोपरा तू बंद केल्यावर
तुजला बघावे खोल मी तू दूर गेल्यावर
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फातिमा मुजावर
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ते तुझे सांगणे खरे नव्हते
कालचे दिवसही बरे नव्हते
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सौ . गाथा महेंद्र आयगोळे.
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माझिया गात्रामधूनी धावणारा श्वास तू
की मला बेचैन करणारा मनाचा भास तू ?
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गौरी शिरसाट
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स्वप्नात काल रात्री येऊन कोण गेले
गंधाळल्या क्षणांना छेडून कोण गेले
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गायत्री पिसेकर
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घडलेच असे काही की, प्रश्नात अडकले नाही
उत्तरे मिळवण्यासाठी नजरेत उतरले नाही
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हेमा जाधव
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भावनांचा कोंडमारा जाळला आहे
साहण्याचा काळ आता संपला आहे
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जयश्री काळवीट
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अत्तराचा गंध इतका खास होता
की फुलांचा कोंडलेला श्वास होता
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जयश्री कुलकर्णी
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मी उद्या नसले तरी अस्तित्व हे उरणार नक्की
शब्द हे माझे उद्या ,माझ्या खुणा जपणार नक्की
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जयश्री कुलकर्णी अंबासकर
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सुखासीन आयुष्य अळणी कदाचित
चवीला व्यथाही जरूरी कदाचित
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जयश्री वाघ
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तुझे वाळूतले घरटे कुणी मोडून गेले का
जिवाला जीव देणारे कुणी सोडून गेले का
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ज्योति मार्जनी
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स्वप्नांच्या वाटेवर जगणे जमले नाही
सत्याला सामोरे जाणे जमले नाही
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ज्योति शिंदे
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जीवनाची काय सांगू मी कहाणी;
सोबतीला आठवांची, ही विराणी
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ज्योति रत्नाकर बालिगा
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उत्तरासाठीच होता प्रश्न तो मी मांडला
जो शिताफीने असा तू ऐनवेळी टाळला
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ज्योत्स्ना चांदगुडे
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ना तिला घर दार वा ना कोणताही सातबारा
काढला आहे कुणी का माळरानाचा उतारा ?
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ज्योत्स्ना राजपूत
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पाहू नको असा तू ,मागे वळून आता
ती वेळ भेटण्याची ,गेली टळून आता
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कांचन कानतोडे
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कुणीही भावले नाही मला येथे तुझ्यानंतर
जसा की भेटला विठ्ठल मला तू भेटल्यानंतर
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काश्मीरा पाटील
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उद्यापर्यंत जगेल याचा काय भरोसा
विचार हाही तरेल याचा काय भरोसा
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कविता डवरे
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भासती तुम्हाला शब्द बेभाव माझे
चंद्र तारकांना त्या पुसा नाव माझे
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कविता क्षीरसागर
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दुःखा किती अनावर होतोस भेटताना
दमछाक होत आहे कवितेत मांडताना
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किरण पिंपळशेंडे
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शिंपला कोणी सडा हा चांदण्यांचा अंबरी
ओंजळीभर वेचुनी घ्यावा बघा कोणीतरी
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किर्ती वैराळकर इंगोले
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फार मृत्यूचा दरारा वाढतो
जीवना वरचा पहारा वाढतो
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क्रांति साडेकर
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प्रत्येक खुळ्या वाटेने मन आता धावत नाही
कविताही भावत नाही, की गझल खुणावत नाही
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क्रांती पाटील
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कशा काट द्यावी उगा आसवांना
सुखाने सहावे असे वेदनांना
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क्षितिजा आरती
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वाहत्या वेदनेला किनारा हवा
जीवनाला तुझाही सहारा हवा
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ललिता बांठिया
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विसरून मला गेल्याचे नुसतेच बहाणे होते
धुंदीत तुझ्या जगण्याचे ते वेड पुराणे होते
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लतिका चौधरी
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मृत्यूला या कवटाळून गेली भेट तुझी माझी
जगण्याला या भाळून गेली भेट तुझी माझी
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मधुराणी बनसोड
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भेटला तो मला शेवटी शेवटी
वाटला तो भला शेवटी शेवटी
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माधुरी चव्हाण जोशी
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भूतकाळ पापण्यात रोखणे बरे नव्हे,
एकटेच रात्र रात्र जागणे बरे नव्हे
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ममता सपकाळ
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अजुन झाले कुठे आहे पुरे सोसून माझेही
असू दे सावलीमध्ये जरासे ऊन माझेही
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मानसी चापेकर
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असे नजरेत नजरेला तुझ्या मी केवढी जपते
तुला मी रोज बघते अन तुझ्यावर प्रेमही करते
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माणिक घारपुरे
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सुखाच्या क्षणांचा पुढे माग आहे
तुझ्या मागुती चालणे भाग आहे
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मनीषा मोडक
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अंध मी प्रेमात असता दोष मग शोधू कशी ?
स्वप्न भासे सत्य जर सत्यात मी राहू कशी ?
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मनीषा अतुल
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इथे अनंत घाव मी जपून ठेवले
प्रचंड आज दाह मी जपून ठेवले
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मनीषा नाईक
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केवढी चर्चा उगाचच गाजला होता चहा
फार नाही फक्त सोबत घेतला होता चहा
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[ महिला दिन मराठी शायरी ]
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मेघा देशपांडे
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सोड रुसवा बोल आता वावगे वागू नको
भांडणे होतील तरिही बोलणे सोडू नको
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मेघना राजे मेघा
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स्पर्धेत या जगाच्या त्यांचा टिकाव नाही
आकाश पेलण्याचा ज्यांना सराव नाही
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मीना सानप
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नको एकांत हा देवा जगावे मी कशाला रे
असा संसार अर्ध्यावर, राहावे मी कशाला रे
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मीना सोसे
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चांगली ही माणसे नात्यात माझ्या
ठेव आहे एवढी खात्यात माझ्या
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मीनाक्षी किलावत
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जो थांबला तो नुसताच भार आहे
संवेदना निकाली शब्दास धार आहे
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मीनल बाठे 'क्षितिजा'
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मागण्यावाचून देणे द्यायचे तू
अन् स्वरावाचून गाणे गायचे तू
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मोहिनी शिंदे
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कुठे दुरावा सजाच आहे ?
अजूनही तो तसाच आहे
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नयना जनार्दन म्हात्रे
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फक्त नावाचा तुझ्या केला पुकारा
आठवांचा भोवती झाला पसारा
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निर्मला सोनी
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रोज वेडयापरी, जागते रात्र ही
एकटी एकटी, हासते रात्र ही
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निर्मिती कोलते
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तुझा पत्ता विसरण्याची
गरज आहे हरवण्याची
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नीता आंबेगावकर
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ही वाट कशी स्वप्नांची आशेने तुडवीत गेले
अन् रंग तुझ्या प्रीतीचे अंगावर उडवीत गेले.
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नीना गायकवाड
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सोडून कां असे गेला शल्य मज सतावे
कर्जात आज श्वासांच्या सांग कां रहावे
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निशा चौसाळकर
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आजच्या घडीला तर, आपले कुणी नाही
चांदणे हरवल्यावर, थांबले कुणी नाही
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निशा डांगे
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जीवनाचा मांडलेला डाव आहे
काळजावर साहलेला घाव आहे
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परीता बांदेकर
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कापरागत देह जळतो हे किती बघ खास आहे
साधनेला अंत नसतो हे किती बघ खास आहे
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पूजा भडांगे लगदिवे
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तुझ्यासोबत मला वाटे, जणू स्वर्गात आहे मी
किती सौभाग्य हे माझे, तुझ्या प्रेमात आहे मी
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पूजा फाटे
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कपाळ माझे कोरडवाहू
कुंकू त्यावर कशास लावू?
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पूर्णिमा पवार
तोडता तू बंध सारे मी उरावे एकटीने
नाव ह्या नात्यास आता काय द्यावे एकटीने
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प्रभा प्रभुदेसाई
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वादळाच्या काय बाता ? मी झुळुक, चाहूल होते
वृक्ष तुमचे गगनस्पर्शी मी तृणाचे फूल होते
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प्रभा सोनवणे
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मद्यालयात आता गर्दी चिकार झाली
पेल्यात वादळाची नांदी तयार झाली
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प्रज्ञा कुलकर्णी
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भावनेला ओढ मोठी तारकांचा भास आहे
कुट्ट काळ्या जीवनाला चंद्रमाची आस आहे
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प्राजक्ता गोखले पटवर्धन
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विरहातही कसा हा मधुमास होत आहे
माझ्या तुझ्या क्षणांचा आभास होत आहे
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प्राजक्ता वेदपाठक
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जो घातला मुळाशी भरणार घाव नाही
रे जीवना तुझा हा फळणार डाव नाही
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प्रतिभा गुजराथी
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तोच रस्ता तीच वळणे भेट पुन्हा घडत नाही
ओळखीच्या पायवाटा तेथवर का वळत नाही
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प्रतिभा जगदळे
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काय केले नवे ...टोचणी लागते
सोसण्या जखम ती ...डागणी लागते
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प्रतिभा सराफ
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काहीतरी मिळाले गमवून खूप काही
त्याचीच याद उरली विसरून खूप काही
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प्रिती जामगडे
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जाताना नेहमी स्वत:चं नाव करून गेला
तुझा शब्द काळजावर घाव करून गेला
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राधा भावे
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जिथे दु:ख,चिंता तिथे धावते मी;
तमाच्या किनारी दिवे लावते मी
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राधिका प्रेम संस्कार
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मुक्त मी आहे खरोखर मुक्ततेलाही विचारा
भोगला संसार आधी फेकला नंतर पसारा
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रजनी अरणकल्ले
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सांज होता सूर्य हासला जाता जाता
डाव त्याने साधलाच हा जाता जाता
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रजनी निकाळजे
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साधे जरा करारी पिळतात काळजाला
फाडून शब्द छाती शिवतात काळजाला..
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रंजना ससणे
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देव नाही मंदिरी या जाणते जग
साकडे त्याला तरी कां चालते जग
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रश्मि मर्डी
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किती मी दाखले देऊ असे निर्जीव वचनांचे
सवे राहूनही आपण कधी नसणार दोघांचे...
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रश्मि पदवाड मदनकर
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मनाला मनाचा कुठे थांग आहे
जिवाला दिलासा कसा सांग आहे
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रसिका कुलकर्णी
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दिल्या वेदनेशी दुजाभाव नाही
सुखाच्या क्षणांची मला हाव नाही..
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रत्नमाला शिंदे
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दगडातही तसे गुण असतात खास काही
नुसत्याच शेंदुराने देवत्त्व येत नाही
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डॉ.रेखा देशमुख
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मैफलीत गाताना गीत हे अमर होते
येतसे समेवरती वाहवा जबर होते
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रेणुका पांचाळ
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किती पावसाळा मनी साठलेला
झुरे, वाट पाहे, झरा आटलेला
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रेवती पेंडसे
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फक्त बघती ठेच मजला लागल्यावर
कोरडा उपदेश करती समजल्यावर
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रोहिणी कदम
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हवे ते मिळाले तुझ्यासोबतीने ,
पुरे स्वप्न झाले तुझ्यासोबतीने
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रोहिणी मिठे झगडे
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तुझ्यात माझे अजून आहे बरेच काही
ह्रदयात लपले अजून आहे बरेच काही
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रोहिणी पांडे
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सृष्टीत पावसाचे थैमान फार झाले
धो धो करून पडता सारे शिकार झाले
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समृद्धी संजय सुर्वे
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वेदना का वाहतो बेकार मित्रा
मुखवट्यांचा हा नको आधार मित्रा
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सांची कांबळे
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कटू सत्यास निर्भिड मांडणा-याची,
इथे होतेच फरफट बोलणा-याची
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संगीता भालसिंग
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शब्द माझे कूळ आहे
काव्य माझे खूळ आहे
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संगीता जोशी
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पुढे पावले ही स्वत:हून टाकू
चला या जगाला सुधारून टाकू
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संगीता माने
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चाल मी जीवनी खेळली कैकदा
हारली कैकदा जिंकली कैकदा
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संगीता म्हसकर
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रात्र थोडी राहिलेली बोल तू काहीतरी
चालले क्षण हे अधांतर सांग जे तव अंतरी
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संघमित्रा खंडारे
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खोल काही आत तुटल्यासारखे
काळजाचे देठ खुडल्यासारखे
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सानिका दशसहस्र
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ग्राह्य धरण्यासारखे काहीच नव्हते.
आपल्यामध्ये तसे काहीच नव्हते
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सारिका माकोडे भड
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किती धावलो बाळांसाठी चुकलो आपण
कुठे सांगना अपुल्यासाठी जगलो आपण
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सीमा गादे
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फसवता व्यथांना खरा जन्म गेला
तुझा शोध घेता नरा जन्म गेला
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शैलजा वायझाडे
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पापण्यांच्या अंबराला आसवांचे चांदणे
हे किती कैफात आता आसवांचे चांदणे.
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शरयू शहा
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गांभीर्याने, जीवन जगले, चुकले माझे
मौज मजेला, नाही वरले, चुकले माझे
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शशिकला बनकर
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मानास मोजणारा आजार पाहिला मी
त्वेषात बोलणारा बेकार पाहिला मी
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शिल्पा देशपांडे
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घायाळ आसवांचा आक्रोश झेलते मी
डोळ्यात वेदनांचे आभाळ तोलते मी
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शिल्पा पै परुळेकर
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आधार शोधताना आधार होत गेले
जो भेटला तसा मी आकार होत गेले
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शितल अक्केवार कर्णेवार
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उलगडे येथे कळी एकेक माझी
जागली का रात्र ती प्रत्येक माझी
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शितल डफळ धामोरे
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भाजावी ही भाकर म्हणुनी अग्नीला गोंजारत गेले
धगधगणा-या ज्वालांवरती हलकी फुंकर मारत गेले
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शितल गाजरे
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सांजवेळी काजव्यांना लाजताना पाहते मी
रातओल्या काजळीला वाढताना पाहते मी
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शिवानी गोखले
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मनीचा वणवा असा शांत झाला
तूझे नाव घेता आकांत झाला.
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शोभा तेलंग
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कळीला छेडतो चाफा
जवळ ये बोलतो चाफा
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श्रद्धा खानविलकर
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नको देऊस वाऱ्याला खबर म्हणते
निरागस राहुदे इथला बहर म्हणते
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शुभदा कुलकर्णी ताकभाते
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विषारी हुंदके आक्रोश अन् थोडे उसासे
खरेसे वाटले होते मला सारे जरासे
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शुभा प्रशांत लोंढे
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मीच माझ्या वेदनांचे गीत होते.
साहिलेले दुःख शब्दातीत होते.
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श्वेता रानडे चिटणीस
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ओठांना जर ओठ जरासे कळले असते,
शब्दांना मी वेठीला का धरले असते?
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स्मिता गांधी
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नकोच सांगू असे बहाणे ,वेळोवेळी
स्वप्नांचे ते रिक्त रकाने वेळोवेळी
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स्मिता साळवी
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आंधळ्याचे नेत्र व्हावे आस आहे
नेत्रदानाचा मनाला ध्यास आहे
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स्मित शिवदास
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पावलांना आज येथे हिरवळीचा भास आहे
वेदनांचा ताणलेला जीवघेणा त्रास आहे
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स्नेहल कुलकर्णी
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जाग आल्यावर दिशांना पांगले इतरत्र होते
श्वास दोघांचे सुरंगी रात्रभर एकत्र होते
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स्नेहा शेवाळकर
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आसवांना पापणीतच रोखले आहे
दुःख मी मोठ्या खुबीने झाकले आहे
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स्नेहल कदम
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निर्दयी या काळजावर वार झाला
सोसलेल्या वेदनांचा भार झाला
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सौ.सविता बनसोड
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मनाचे गुज ओठांनी, कधीच बोलले नाही
नयनी साठवले ते तुला,कधीच कळले नाही
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सुधा पालवे (भावसुधा)
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सांगू तरी कसे मी धीक्कार लाख झाला
मौनातल्या गुन्ह्याचा चित्कार लाख झाला
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सुगंधा पाटील
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लाचार वासनेला का सांग माळले तू
मोहात या निशेच्या प्राचीस टाळले तू
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सुहासिनी विवेकरंजन देशमुख
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घेरावयास मजला; सगळे तयार झाले
मी नजर टाकली अन सारेच गार झाले
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सुजाता दरेकर
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कशाला करावा उगा मी खुलासा
कधी जर कुणाला पटे ना जरासा
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सुजाता पगारे गायकवाड
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कशा कशावर गझला करतो,माझा नवरा
मी,मुलगी,दुनियेस विसरतो,माझा नवरा
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सुलभा वसंत कामत
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या खुणा कालचे गीत आहे
मी नवा सूर शोधीत आहे
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सुनंदा भावसार
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वेड लाटेस का किनार्यारचे
भय न दर्या तुझ्या पहार्याुचे
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सुनंदा पाटील गझलनंदा
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मला सांगायचे होते तुला जे काल ओठांनी
कसा ओठांवरी लिहिला तराणा लाल ओठांनी
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सुनंदा शेळके
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लाख झेलले प्रहार मागे सरले नाही
पराभूत मी होऊन सुद्धा हरले नाही
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सुनेत्रा नकाते
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शब्द माझे सारथी अन शब्द माझे धन खरे हे
शब्द माझे सारथी अन शब्द माझे बल खरे हे
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सुनिता रामचंद्र
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दबावापुढे भूकही मूक होते
तश्या आतड्याचीच बंदूक होते
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सुनीति लिमये
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मार्ग आहे मोकळा ..पण घे जरासा वेगळा
कोठुनीही जा सखे ....कर जीवनाचा सोहळा
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सुप्रिया मिलिंद जाधव
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चढत आहेस तू जी पायरी ती पार केली मी
तुझ्या प्रेमात पडले,मान्य माझी हार केली मी
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सुरुची नाईक
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दैवास जाणले मी, दैत्यास काय सांगू?
सृजनात हारले मी, मरणास काय सांगू?
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स्वरूपा सामंत
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मानला तर मी तुझा आधार आहे
मानला तर मीच अंधःकार आहे
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स्वाती महेश
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हे हवे अन ते नको रे बास आता
सांगताही येत नाही त्रास आता
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स्वाती शुक्ल
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जरी काटाच होता तो तरी आलाच अंगावर
कुठे फिर्याद नोंदावी फुलांनी वार केल्यावर
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उज्वला सुधीर मोरे
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काळजाला चिटकून येते तुझी आठवण
संध्याकाळी हटकून येते तुझी आठवण
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उमा पाटील
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कैफातल्या क्षणांचा अजुनी प्रभाव कायम
बेभान या मनाची स्वप्नात धाव कायम
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उर्मिला बांदिवडेकर
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खडकावरती अंकुरबिंकुर फुटला नाही
जीव तिचाही माझ्यावरती जडला नाही
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उर्मिला सहस्रबुद्धे वाणी
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का आजही सुगंधी हा श्वास होत आहे ?
गंधाळल्या सुखांचा आभास होत आहे
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उर्मिला ठाकरे
ही झोपडी जरीही, माझी उन्हात आहे
आणेल चंद्र येथे, उर्मी मनात आहे...
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उर्मिला ठाकरे
प्रेम हा व्यवहार उरला बदलली आख्यायिका
राहिला ना कृष्ण कोठे राहिली ना राधिका
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वैश मिर्झापुरे
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जगाची काळजी आता मला नाही तुला नाही
मनाची लाजही आता मला नाही तुला नाही
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वैशाली माळी
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घडायच्या त्या घडून गेल्या काही गोष्टी
मनामध्ये घर करून गेल्या काही गोष्टी
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वंदना राऊत
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कशाला कुणाच्या मनाला छळावे
मनाला तयाच्या मनी गुंतवावे
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वंदना पाटील वैराळकर
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डोळ्यामधील जेव्हा पाणी सरून गेले
काटे मला नव्याने जखमी करून गेले
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वनिता मोडके पाटील
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प्रेमास आपल्या रे ते नाव काय होते ?
उमजे मनास आता ते भाव काय होते
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वनिता तेंडूलकर बिवलकर
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अजुनी नव्या उद्याची अाशा जिवंत आहे
आनंद जिंकण्याची इच्छा ज्वलंत आहे
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वर्षा चौगुले
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दरवळणारी जाई मी
गंधांची अमराई मी
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वर्षा कुलकर्णी
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'कधी' 'कोणी' 'कसे' 'केव्हा' 'कशाला' 'का' 'कुणासाठी'
असे हे प्रश्न पडती ह्या मनाला का कुणासाठी ?
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वासंती वैद्य
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पंखातल्या बळाचा झाला प्रभाव नाही
आकाश पेलण्याचा ज्यांना सराव नाही
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वीणा बेळगावकर
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हलाहलातले विखार प्यायचे हळूह्ळू
सरावलो कसातरी जगायचे हळू हळू
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विद्या देशमुख, अमरावती
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संपर्क साधणारी लाईन व्यस्त आहे
देवा कसा इथे हर माणूस त्रस्त आहे
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विजयालक्ष्मी वानखडे
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भलताच लागला ह्या,चंद्रास घोर आता
स्वप्नात रोज येतो,प्यासा चकोर आता.
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विजया गायकवाड
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समजून घे मला तू , लग्नात भेटल्यावर
होणार प्रेम परके , हळदीत बाटल्यावर
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विजया टाळकुटे
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येशूमधे मिळाला बुद्धामधे मिळाला
रामा तुझाच अनुभव अल्लामधे मिळाला
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विनया निलेश पिंपळे
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पाहते इथे तुला, तिथे तुलाच पाहते
सावल्या सभोवती हताश होत साहते
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विनिता/मृणाल घाटे
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दुःख जगाचे काळजात सांभाळू सखये
एकांतातच मुकी आसवे ढाळू सखये
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यशश्री रहाळकर
गाळताही येत नाही टाळताही येत नाही
जाच ऐसा जीवना की भाळताही येत नाही
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